Second verse of Surah Nisa (the Women)
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[4:2]
Give orphans their property, do not replace [their] good things with
bad, and do not consume their property with your own – a great sin.
[4:2] और यतीमों को उनके माल दे दो और बुरी चीज़ (माले हराम) को भली चीज़ (माले हलाल) के बदले में न लो और उनके माल अपने मालों में मिलाकर न चख जाओ क्योंकि ये बहुत बड़ा गुनाह है
[4:2] और यतीमों को उनके माल दे दो और बुरी चीज़ (माले हराम) को भली चीज़ (माले हलाल) के बदले में न लो और उनके माल अपने मालों में मिलाकर न चख जाओ क्योंकि ये बहुत बड़ा गुनाह है
[4:2] اور یتیموں کا مال (جو تمہاری تحویل میں ہو) ان کے حوالے کردو اور ان کے
پاکیزہ (اور عمدہ) مال کو (اپنے ناقص اور) برے مال سے نہ بدلو۔ اور نہ ان
کا مال اپنے مال میں ملا کر کھاؤ۔ کہ یہ بڑا سخت گناہ ہے
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